Sunday, February 19, 2012


शाम...(180112)
----------

अभी जागे ही थे कि शाम हो गई
सोचा, सवेरा हो चुका है
सुबह तो हुई है
पर
अब तो रात ही रात है
रात ही रात है
सोने के लिए
रात ही रात है
रोने के लिए
रात ही रात में
आंखे बंद की
रात ही रात में
आंखे खुली रहीं
आंखे बंद की
आंखे खुल गईं
जो नहीं बदली
वो तेरी तस्वीर थी
जो बदल गई
क्या वो.....
अभी जागे ही थे
कि शाम हो गई...

No comments:

Post a Comment