Wednesday, January 4, 2012


पंक्तियां(030112)
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कुछ पंक्तियां खोजी थीं...
सोचा था घर ले जाऊंगा...
पर कहीं बिखर गईं...
सारी की सारी खो गईं...

अब क्या करूं...
किससे पूछूं...
जननी तो चली गई...
जिसके लिए खोजी थी...
वो छोड़ गई...

कुछ पंक्तियां खोजी थीं...
सोचा था घर ले जाऊंगा...
पर कहीं बिखर गईं...
सारी की सारी खो गईं...

नई तलाश करूं...
नई शुरूआत करूं...
डर रहा हूं...
खुद को...
असहाय पा रहा हूं...

कुछ पंक्तियां खोजी थीं...
सोचा था घर ले जाऊंगा...
पर कहीं बिखर गईं...
सारी की सारी खो गईं...

अब कैसे खोजूं...
हिम्मत कैसे जुटाऊं...
कैसे मानूं...
अब जो तलाश करूंगा...
वो मैं पूरी निभाऊंगा...

कुछ पंक्तियां खोजी थीं...
सोचा था घर ले जाऊंगा...
पर कहीं बिखर गईं...
सारी की सारी खो गईं...

खुद पर संदेह है...
क्योंकि...
जिन्हें खोजा था...
उसे संजो न सका...
अब क्या सफल हो पाऊंगा...

कुछ पंक्तियां खोजी थीं...
सोचा था घर ले जाऊंगा...
पर कहीं बिखर गईं...
सारी की सारी खो गईं..