Tuesday, March 9, 2010

मेरा पहला ब्लॉग

मंगलवार ०९ मार्च २०१०, हिंदुस्तान के इतिहास का नया अध्याय। महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा में स्वीकृति मिली। भारत में महिलाओं के नए युग की शुरुआत। इस मौके पर मैंने भी सोच कि क्यों ना मैं भी काफी दिनों से सोचे जा रहे काम(ब्लॉग लिखना) का श्री गणेश कर दूं, तो कर दिया श्री गणेश, गणेश जी का नाम लेकर।


अपने ब्लॉग का नाम मैंने 'क्या लिखू, क्या कहूं' इसलिए दिया है क्योंकि, मेरी समझदानी थोड़ी देर से काम करती है, समझ नहीं आता कि क्या लिखू, क्या कहूं। वैसे सबसे पहले देश की महिलाओं को बधाई देता हूं, उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए। राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिलने से एक संदेश साफतौर से समाज में जाता है कि कोई कितना भी विरोध कर ले, अब महिलाओं को रोक पाना मुमकिन नहीं। यहां पर अपनी आदर्णीय माता जी के बारे में कुछ कहना चाहता हूं. ये महिला बिल अगर बीस साल पहले पास हो गया होता तो मेरी माता जी भी राज्य या लोकसभा की सदस्य होती. मैं भी छत पर बत्ती लगी गाड़ी में धौंस जमाकर घूमता.


वापस महिला बिल के मुद्दे पर आते हैं. सदन में महिलाओं की एक तिहाई भागेदारी अभी भी उतनी आसान नहीं है, जितनी दिख रही है. बिल को अभी लोकसभा में, फिर 15 राज्यों की विधानसभाओं में भी पारित होना है. राष्ट्रपति की मुहर भी लगनी है, हालांकि हमारी राष्ट्रपति महिला है सो इतना तो आश्वस्त हूं कि बिल को दोबारा लौटाया नहीं जाएगा. यहां पर मैं वृन्दा करात के उस बयान का जिक्र करना चाहता हूं जो उन्होंने राज्यसभा में बहस के दौरान दिया, उन्होंने कहा कि 'मुझे पूरा विश्वास है कि महिलाएं अपने कर्तव्य, कर्मठता और बलिदान के बूते, 33 फीसदी के दायरे को बढ़ाकर निश्चित ही 40 से 50 फीसदी तक पहुंचा देंगी।'


वृन्दा करात की इस बात में अहम नहीं, विश्वास दिखता है. निजीतौर पर मुझे महिला आरक्षण के लागू हो जाने पर खुशी होगी। ऐसा मैं इसलिए कहा रहा हूं क्योंकि मेरे घर में चार महिलाएं हैं। मेरी तीन बहने और मेरी मां। इन चारों के साथ रहकर मैंने हमेशा अपने आपको सुरक्षित महसूस किया है। मैं समझता हूं कि महिलाएं हमें हमसे कहीं अच्छी तरह से समझती हैं, भले ही वो किसी भी रूप में क्यों ना हो। मां, बहन या दोस्त। इसके आगे के रिश्तों के बारे में इसलिए नहीं लिख सकता क्योंकि अभी मैं ऐसे किसी रिश्ते से जुड़ा नहीं हूं, जब ये रिश्ता बन जाएगा तो जरूर लिखूंगा...


फिलहाल अपने पहले ब्लॉग पोस्ट में इतना ही लिख रह हूं, आगे अगर समझ सका कि किसी बात पर दो पंक्तियां लिख सकता हूं तो जरूर आप मुझे पढ़ेंगे... शुभरात्रि...

5 comments:

  1. बहुत अच्छा है अंकुर जी। मेरी ओर से ब्लाग शुरू करने की ढेर सारी शुभकामनाएं। सबसे बडी बात जो है वह यह है कि आपने ब्लाग शुरू करने का दिन बहुत अच्छा चुना है। और हां लिखा भी अच्छा है। समय मिले तो मेरे ब्लाग पर भी आईयेगा।

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  2. बहुत अच्छे मित्र. खुशी हुई कि किसी ने तो लिखना शुरू किया. मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं और यकीन मानो तुमने जो भी लिखा है वह कही से भी नए लेखक के परिभाषित नहीं कर रहा है. अंकुर मेरे मित्र तुम वह हो जिसे मैं ब्लैक हार्स की संज्ञा देना चाहूंगा. ब्लैक हार्स उसे कहते हैं जो किसी की नजरों मे तो नहीं आता लेकिन बुलंदियों पर सबसे पहले पहुंचता है. शुभकामनाएं ढेर सारी।

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  4. blogro kee duniya me aapka swagat hai. pahle hee leekh me pure lai me nazar aye ho. badhai ankur jee.

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  5. i wana raise a question for all of , prissily to all of the women that why do they need reservation,if they are equally capable as men are. in rural India,most of the women are illiterate and if they get any position in politics then its their husband who get benefit from it and these women become puppets. Whts the sense of these kind of reservations?
    I just call it another political bullshit...

    Ne way nice start Ankur...

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