Friday, August 27, 2010

चीन से हारा भारत...



हम्म्म... तो हार गईं सायना... नंबर वन बनने का सपना भी रह गया... 8-21, 14-21 से जो हारीं सो हारीं... वैसे पहले सेट में जब 0-6 से पीछे रहने के बाद 6-6 की बराबरी की तो लगा शायद फिर से करिश्मा हो और लगातार तीन टूर्नामेंट जीत कर तीसरे नंबर पर और फिर दूसरे नंबर पर पहुंची सायना शायद क्वाटर फाईनल जीतकर विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बना जाएं... लेकिन चीन की शियजान ने उनके सपनों की राह में रोड़ा डाल दिया... और खुद को सेक्योर करती हुईं सायना को बाहर का रास्ता दिखा दिया... और इस तरह चीन ने भारत को हरा दिया...

ये तो खेल की बात थी... दो सेट हार कर खेम खत्म और टूर्नामेंट से बाहर... कभी मौका मिला तो जीत लेंगे कोर्ट... लेकिन क्या चीन और भारत के बीच सिर्फ यही एक मैच था... बाकी सब ठीक है... ऐसा लगता तो नहीं हैं... सिर्फ भारत और चीन की बात को रहने दीजिए... इन दो देशों की टंकार पूरे विश्व में गूंज रही हैं... 'द इकॉनमिस्ट' नाम की एक पत्रिका ने अपनी कवर स्टोरी में भारत और चीन के बीच चल रही होड़ को इस वक्त की सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धा करार दिया है... संकेत साफ है कि भारत और चीन की दौड़ ने सभी के नीचे की जमीन को हिला कर रख दिया है... कुछ एक रिपोर्ट्स भी यही कहती हैं कि चीन भले ही आगे हो लेकिन भारत भी पीछे नहीं... तो क्या मान लें कि चीन खरगोश है और भारत कछुआ...



खरगोश और कछुए की कहानी पुराने समय की है... कहानी में सीख छिपी है कि जो सतत अपने कर्म में लगा रहता है विजय उसी की होती है... लेकिन अब समय बदल गया है... सिर्फ अपने काम में लगे रहने से ही जीत नहीं मिलती... आपको अपनी मेहनत और लगन के साथ-साथ बहुत कुछ सोच-समझकर और बना-बिगाड़ कर चलना होता है... चीन भी कुछ ऐसा ही कर रहा है... चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर उसके यहां बांध और सड़के बना रहा है और अपने संबंध पाकिस्तान के साथ मजबूत कर रहा है... तो वहीं भले ही भारत कहे कि कुछ नहीं बिगड़ रहा फिर भी खतरा तो है क्योंकि दो दुश्मन गहरे दोस्त बन गए हैं... क्या वाकई चीन से खतरा नहीं है... अगर ऐसा है तो क्यों चीन ने एक भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल को चीन में आने का वीजा नहीं दिया... क्यों उसने कह दिया कि कश्मीर झगड़े वाली जगह है और वहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को चीन में नहीं घुसने दिया जाएगा... चीन ने तो कश्मीर से आने वालों के लिए अलग वीजा ही बनवा दिया है... क्या ये काम करके चीन ने पाकिस्तान के प्रति अपनी गहरी दोस्ती का सबूत नहीं दिया है...

भारत और चीन के बीच की प्रतिस्पर्धा को विश्व भी गंभीरता से ले रहा है... इसकी चर्चाएं भी गाहे-ब-गाहे हो जाती है... अक्सर भारत को प्लस प्वाइंट भी दे दिया जाता है... और चीन को उसके तरीकों के लिए सुनना पड़ता है... लेकिन नतीजा क्या होता है... आगे कौन रहता है... क्या शालीनता से रहना... दूसरों से व्यवहार बनाना... खुद को हमेशा प्रजातांत्रिक साबित करना ही सबकुछ है... सिर्फ दूसरों की वाह-वाही मिल जाने भर से हम जीत जाएंगे... या भारत चीन से हार जाएगा...