Sunday, September 5, 2010

बेचो, बेचो यार ! जब बेचोगे नहीं तो चलेगा कैसे...

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करते हुए ज्यादा वक्त नहीं बीता है... न तो मुझे इतनी समझ है कि किसी को क्रिटिसाइज कर सकूं... लेकिन क्या करूं ब्लॉग बनाया है तो लिखना पड़ेगा... लिखने का ही काम करता हूं तो लिख रहा हूं... ऊपर से कायस्थ हूं, शुरू से सुनता आ रहा हूं कि तुम नहीं लिखोगे तो और कौन लिखेगा... चित्रगुप्त जी की वजह से ऐसा लगता है कि कलम पर हम कायस्थों का पट्टा लिख दिया गया है... क्या लिखूं, क्या कहूं...

एक बात है और वो ये कि जो बातें सुनता आ रहा था वो अब दिखने लगीं हैं... कुछ उदाहरण दूं उसके पहले आपसे पूछता हूं... क्या आपको पता है कि ओडिसा में आजकल क्या हो रहा है... वहां के हालात क्या हैं... अगर आप ऐसा अखबार पढ़ते हैं जो वहां की खबरे कैपचर करता है तो ठीक है... वरना, आपको नहीं पता होगा... उत्तरप्रदेश के पूर्व के हिस्सों में... नेपाल से लगे इलाकों में क्या हो रहा है क्या आपको पता है... अगर आप वहां के रहने वाले नहीं हैं... आपका कोई जानने वाले, नजदीकी वहां का नहीं है तो आपको पता नहीं होगा... क्यों... क्योंकि हमारे सोकॉल्ड नेशनल हिन्दी चैनलों पर ये खबरें नहीं चलाई जा रही हैं... साला मन में सवाल उठता है और कचोटता भी है कि नेशनल चैनल है या दिल्ली का चैनल... दिल्ली में बाढ़ आई हाहाकार मच गया, बारिश हुई तो नेशनल खबर बन गई... डेंगू न हो गया यमराज का प्रमोशनल एड हो गया जिसके लिए प्राइम टाइम में स्लॉट बुक हो गया है... नेपाल से जब नारायणी नदी से पानी छोड़ा जाता है गोरखपुर, देवरिया, पडरौना, कुशीनगर में बाढ़ आती है तब खबर क्यों नहीं बनती... बनती है तो बस एक पैकेज या स्पीड न्यूज में चला दो... डेंगू से कुछ मौते होती हैं तो जैसे जलजला आ जाता है... गोरखपुर, महाराजगंज में इंस्फलाइटिस से सैकड़ो लोग मर जाते हैं कोई खबर तक नहीं चलाता...

कर्मी- सर, खबर आई है, दिमागी बुखार से100 से ज्यादा मर गए, ५०० से १००० के बीच पीड़ित हैं, फुटेज बहुत अच्छी है सर, बच्चे बेड पर पड़े हैं, मां-बाप रो रहे है, अस्पताल में दवा नहीं है, इलाज नहीं हो रहा है

सर- बेचोगे कैसे, बिकेगा... कौन देखेगा तुम्हारा दिमागी बुखार... सब तो डेंगू चला रहे हैं... पैकेज लिख दो... विजुअल अच्छे हो तो अगली शिफ्ट वाले बना लें अगर लगे तो... हमे चलाना होगा तो डेंगू से ओपन करेंगे, लास्ट चंक में रख लेंगे... एक फोनो ले लेना ज्यादा से ज्यादा... वैसे कोई जरूरत नहीं है...

कर्मी- सर, लेकिन बहुत बड़ी खबर है...

सर- हर साल होता है... तुम डिसाइड करोगे क्या बड़ा है क्या छोटा... बॉस को तय करने दो... काम करो और मुझे करने दो...

कर्मी- जी सर, स्टिंग टॉस भी न लिखें गोरख...

सर- अरे यार समझते नहीं हो... कुछ नहीं, सिम्पल रखो, और सुनो, बरसात हो रही है लगातार दिल्ली में जाम, सड़क धंसने के फुटेल निकलवाकर रखो, दो-चार दिन में काम आएगा... फुल डीटेल के साथ...

अक्सर ऐसे ही होता है... भला हो टिहरी का जो एशिया के सबसे बड़े बांधों में से एक है और शिवजी की मूर्ति का जो गंगा में डूब गई... वरना उत्तराखंड के बाढ़ की भी शायद खबर यूं न चलती... बिहार में चुनाव है तो वहां की भी खबरे चल रही है... प्रयोजित जो है...

अभी सिर्फ इतना ही... मिलते हैं छोटे से विराम के बाद...