Friday, August 16, 2013

अल्प विराम

वो रात भी अपनी ही थी, ये रात भी अपनी ही है
कल बिछड़े तो क्या हुआ, कल फिर मिलेंगे
राह में हाथ छूटा तो क्या, थोड़ा रोए तो क्या
न समझो साथ आखिरी है, ये अल्प विराम है
बीते हुए लम्हों को जिओ, आने वालों के इंतजार में
ये रात आखिरी है, सुबह के इंतजार में...

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