Friday, February 26, 2016

सावन (08/02/13)

सावन, पहले खेल था
नहाने का बहाना था
भीगने की खुशी थी
झूमने की वजह थी

तुम आए...

सावन, सजीला हुआ
मिलने का बहाना हुआ
बूंदें रेश्मी हुईं
प्यार का मौसम सुहाना हुआ

तुम गए...

भादो भी सूखा हुआ
बरखा, जहरीले बाणों सी हुई
प्रेम की खुशबू...
टीस की गंध हुई
तपिश की फुहार...
और, अग्न बरसे

सावन... सावन... सावन...

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