क्या लिखूं, क्या कहूं...
Sunday, September 4, 2011
मुंबई का मौसम बड़ा बेईमान है
आंखों में धूल झोंककर मेघ लाता है
सावन का जबतक हो एहसास
चटकीली धूप का रंग निखर आता है
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